Small Hindi Motivational Stories

मैं तुझे तो कल देख लूंगा।

सूफी संत जुनैद के बारे में एक कथा है.
एक बार संत को एक व्यक्ति ने खूब अपशब्द कहे और उनका अपमान किया. संत ने उस व्यक्ति से कहा कि मैं कल वापस आकर तुम्हें अपना जवाब दूंगा.अगले दिन वापस जाकर उस व्यक्ति से कहा कि अब तो तुम्हें जवाब देने की जरूरत ही नहीं है.
उस व्यक्ति को बेहद आश्चर्य हुआ. उस व्यक्ति ने संत से कहा कि जिस तरीके से मैंने आपका अपमान किया और आपको अपशब्द कहे, तो घोर शांतिप्रिय व्यक्ति भी उत्तेजित हो जाता और जवाब देता. आप तो सचमुच विलक्षण, महान हैं.
संत ने कहा – मेरे गुरु ने मुझे सिखाया है कि यदि आप त्वरित जवाब देते हैं तो वह आपके अवचेतन मस्तिष्क से निकली हुई बात होती है. इसलिए कुछ समय गुजर जाने दो. चिंतन मनन हो जाने दो. कड़वाहट खुद ही घुल जाएगी. तुम्हारे दिमाग की गरमी यूँ ही ठंडी हो जाएगी. आपके आँखों के सामने का अँधेरा जल्द ही छंट जाएगा. चौबीस घंटे गुजर जाने दो फिर जवाब दो.
क्या आपने कभी सोचा है कि कोई व्यक्ति पूरे 24 घंटों के लिए गुस्सा रह सकता है? 24 घंटे क्या, जरा अपने आप को 24 मिनट का ही समय देकर देखें. गुस्सा क्षणिक ही होता है, और बहुत संभव है कि आपका गुस्सा, हो सकता है 24 सेकण्ड भी न ठहरता हो|
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कौन बड़ा?
एक बार एक आश्रम के दो शिष्य आपस में झगड़ने लगे – मैं बड़ा, मैं बड़ा.

झगड़ा बढ़ता गया तो फैसले के लिए वे गुरु के पास पहुँचे.

गुरु ने बताया कि बड़ा वो जो दूसरे को बड़ा समझे.

अब दोनों नए सिरे से झगड़ने लगे – तू बड़ा, तू बड़ा!
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सुरक्षा का उपाय

एक बार नसरूद्दीन ने एक लड़के से उसके लिए कुँऐं से पानी खींचने का अनुरोध किया। जैसे ही वह लड़का कुँए से पानी खींचने को झुका, नसरूद्दीन ने उसके सिर में जोर से थप्पड़ मारा और कहा, "ध्यान रहे। मेरे लिए पानी खींचते समय घड़ा न टूटे।"

वहाँ से गुजरते हुए एक राहगीर ने यह सब देखा तो उसने नसरूद्दीन से कहा - "जब उस लड़के ने कोई गल्ती ही नहीं की तो तुमने उसे क्यों मारा?"

नसरूद्दीन ने दृढ़तापूर्वक उत्तर दिया - "यदि मैं यह चेतावनी घड़े के फूटने के बाद देता तो उसका कोई फायदा नहीं होता।"
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तुम्हारा फर्नीचर कहाँ है?

पिछली शताब्दी की बात है। एक अमेरिकी पर्यटक सुप्रसिद्ध पुलिस कर्मचारी रब्बी हॉफेज़ चैम से मिलने गया।

उसे यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि रब्बी सिर्फ एक कमरे में रहते थे और वह भी किताबों से भरा हुआ था। उसमें फर्नीचर के नाम पर सिर्फ एक मेज और कुर्सी थी।

"तुम्हारा फर्नीचर कहाँ हैं रब्बी?" - पर्यटक ने पूछा ।

"और तुम्हारा कहाँ हैं?" - रब्बी ने कहा ।

"मेरा फर्नीचर ! लेकिन मैं तो यहाँ एक पर्यटक हूँ और यहाँ से गुजर ही रहा था।"

"और मैं भी" -- -- -- रब्बी ने भोलेपन से कहा ।

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