महान शायरों के चंद शेर
अच्छे दिनों में बुरी बात,कि वो एक दिन खत्म हो जाते हैं,
बुरे दिनों में अच्छी बात,कि वो भी एक दिन खत्म हो जाते हैं......
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उसके होंठों पे कभी बददुआ नहीं होती ,
बस इक माँ है जो मुझसे कभी खफा नहीं होती.
बस इक माँ है जो मुझसे कभी खफा नहीं होती.
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मौत आई तो क्या मैं मर जाऊँगा?
मैं तो इक दरिया हूँ, जो समंदर में मिल जाऊँगा.
मैं तो इक दरिया हूँ, जो समंदर में मिल जाऊँगा.
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नाकामियों ने और भी सरकश बना दिया,
इतने हुए जलील, की खुददार हो गए...
इतने हुए जलील, की खुददार हो गए...
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उसको रुखसत तो किया था, मुझे मालून न था.
सारा घर ले गया, छोड़ के जाने वाला.....
सारा घर ले गया, छोड़ के जाने वाला.....
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सर पर चढ़कर बोल रहे हैं, पौधे जैसे लोग,
पेड़ बने खामोश खड़े हैं, कैसे-कैसे लोग.....
पेड़ बने खामोश खड़े हैं, कैसे-कैसे लोग.....
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जो चीज़ उन्होंने ख़त में लिखी थी, नहीं मिली.
ख़त हमको मिल गया है, तस्सली नहीं मिली.....
ख़त हमको मिल गया है, तस्सली नहीं मिली.....
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अकेले बैठोगे, तो मसले जकड लेंगे.,
ज़रा सा वक़्त सही , दोस्तों के नाम करो.....
ज़रा सा वक़्त सही , दोस्तों के नाम करो.....
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ज़िन्दगी के मायने तो याद तुमको रह जायेंगे ,
अपनी कामयाबी में कुछ कमी भी रहने दो....
अपनी कामयाबी में कुछ कमी भी रहने दो....
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मैंने उसका हाथ थमा था राह दिखने को,
अब ज़माने को दर्द हुआ तो मैं क्या करूँ ?
अब ज़माने को दर्द हुआ तो मैं क्या करूँ ?
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फिर क्यों इतने मायूश हो उसकी बेवफाई पर "फराज"
तुम खुद ही तो कहते थे कि वो सबसे जुदा है |
तुम खुद ही तो कहते थे कि वो सबसे जुदा है |
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रात बड़ी मुश्किल से खुद को सुलाया है मैंने
अपनी आँखों को "तेरे ख्वाब" का लालच देकर |
अपनी आँखों को "तेरे ख्वाब" का लालच देकर |
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वो लिखते हैं हमारा नाम मिटटी में , और मिटा देते हैं ,
उनके लिए तो ये खेल होगा मगर ,हमें तो वो मिटटी में मिला देते हैं !!
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जिन्दगी की उलझने शरारतों को कम कर देती हैं,
और लोग समझते हैं कि हम बडे हो गए |
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अपनी नींद से मुझे कुछ यूँ भी मोहब्बत है"फ़राज़".......
की उसने कहा था मुझे पाना एक ख्वाब है तेरे लिए
की उसने कहा था मुझे पाना एक ख्वाब है तेरे लिए
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