मयकशी में खुशी
दिल्ली के पटेल नगर इलाके एक एलआईजी फ्लैट में महफ़िल सजी थी। यहां चार मयक़श जमे थे और मय, मीना, सागर सबका इंतज़ाम किया गया था। कमी थी तो बस साक़ी की। जितेन्द्र ने शहर में ड्राई डे होने के बावजूद दिल्ली-यूपी बॉर्डर से दारु की जुगाड़ की थी। दरअसल, आज की महफ़िल का बस एक मकसद था- चापलूसी। चापलूसी केकेके की। हालांकि, जितेन्द्र ने केकेके को एक कमसिन कली मुहैया कराने का वादा किया हुआ था लेकिन आज के लिए सिर्फ दारु का कार्यक्रम था। जितेन्द्र को चापलूसी का पहला फंडा बखूबी पता था। वो ये कि, जिसकी लल्लो चप्पो कर रहे हो, उससे बार बार मिलो। मिलने के बहाने खोजो। बस, इसी लाख टके के सिद्धांत पर अमल करते हुए जितेन्द्र ने पहली बार में सिर्फ जाम छलकाने की ही व्यवस्था की थी। केकेके के अलावा जितेन्द्र के दोनों साथी भी महफिल में मौजूद थे।
"केकेके ने पहला घूंट लेते हुए ही जितेन्द्र को शाबाशी दे डाली। वाह, मज़ा आ गया। एक तो ड्राई डे और उस पर इतनी धांसू दारु...मज़ा आ गया।"
महफ़िल में बैठे चारों शराबी आदतन शराबी नहीं थे। कुछ ऐश के तो कुछ तेश के दारुबाज थे। रोज़ नहीं पीते थे, इसलिए पीने का पूरा आनंद लेकर पीते थे।
केकेके की शाबाशी से खुश जितेन्द्र के हौंसले भी बुलंद थे। "सर, अभी तो ये शुरुआत है, थोड़ी देर में आप ज़न्नत में पहुंच जाएंगे। "
"क्या करेंगे,ज़न्नत में पहुंचकर गुरु, अगर वहां अप्सराएं ही न हो? " केकेके ने सवाल उछाल दिया।
जितेन्द्र ने केकेके को भरोसा दिलाया कि अप्सरा की खोज जारी है और जल्द ही उन्हें उसके दर्शन करा दिए जाएंगे। केकेके को भी इस बात की कोई जल्दबाजी नहीं थी। छलकते जामों के बीच तीनों केकेके को अपने अपने अंदाज़ में खुश करने मे जुटे थे। केकेके की तारीफों के पुल बांधे जा रहे थे और उनकी महानता के ज़िक्र में कई रिकॉर्ड ध्वस्त हो रहे थे। मेहमाननवाजी से खुश केकेके भी खुश हो लिए थे। बातों का दौर जारी था और केकेके अपने मूड में आ चुके थे।
"तुम लोग हस्तमैथुन करते हो क्या? " केकेके की तरफ से अचानक उछाले गए इस सवाल से तीनों हतप्रभ थे।
केकेके ने तीनों के चेहरों को पढ़ा और कहा-"अरे यार, तुम लोग इतना परेशान क्यों हो गए। अब करते हो तो बोलो नहीं तो छोड़ों। लेकिन मैं तो अभी भी हैंड प्रैक्टिस करता हूं। यार......औरत के साथ कितना भी बिस्तर गर्म कर लो... हैंड प्रैक्टिस का मज़ा कुछ और ही है। "
केकेके के सिर पर सुरूर हावी हो चुका था और वो सेक्स से जुड़े अपने तमाम अनुभवों को चटखारे लेकर बताने लगा। जितेन्द्र और उसके दोनों साथी भी अब इस बातचीत में शामिल हो चुके थे।
मयकशी के दौर के बीच इतनी रंगीन वार्ता में विघ्न पड़ा.....केकेके के मोबाइल के घंटी से। केकेके का नंबर को घूरा और काट दिया। लेकिन,दो पल बाद मोबाइल फिर घनघना उठा। इस बार, केकेके ने गुस्से भी फोन ऑन किया और कहा- कौन है?
लेकिन,दूसरी तरफ से आई आवाज़ ने केकेके के पैरों तले ज़मीन खिसका दी।
"मैं विशंभर नाथ बोल रहा हूं। कहां रहते हो तुम। कुछ पता भी रहता है तुम्हें। "हमारा हिन्दुस्तान" के पटना एडिशन के लिए संपादक के लिए अजय कुमार का नाम फाइनल हो गया है।"
विशंभर की इस सूचना के बाद केकेके का सुरुर लापता हो चुका था और बदन में अजीब सी फुर्ती आ गयी। वो उठ खड़ा हुआ और चीते की चाल से नीचे उतर लिया।....
सिर्फ इन्हीं शब्दों के साथ...."कल बात करता हूं तुम लोगों से"
"केकेके ने पहला घूंट लेते हुए ही जितेन्द्र को शाबाशी दे डाली। वाह, मज़ा आ गया। एक तो ड्राई डे और उस पर इतनी धांसू दारु...मज़ा आ गया।"
महफ़िल में बैठे चारों शराबी आदतन शराबी नहीं थे। कुछ ऐश के तो कुछ तेश के दारुबाज थे। रोज़ नहीं पीते थे, इसलिए पीने का पूरा आनंद लेकर पीते थे।
केकेके की शाबाशी से खुश जितेन्द्र के हौंसले भी बुलंद थे। "सर, अभी तो ये शुरुआत है, थोड़ी देर में आप ज़न्नत में पहुंच जाएंगे। "
"क्या करेंगे,ज़न्नत में पहुंचकर गुरु, अगर वहां अप्सराएं ही न हो? " केकेके ने सवाल उछाल दिया।
जितेन्द्र ने केकेके को भरोसा दिलाया कि अप्सरा की खोज जारी है और जल्द ही उन्हें उसके दर्शन करा दिए जाएंगे। केकेके को भी इस बात की कोई जल्दबाजी नहीं थी। छलकते जामों के बीच तीनों केकेके को अपने अपने अंदाज़ में खुश करने मे जुटे थे। केकेके की तारीफों के पुल बांधे जा रहे थे और उनकी महानता के ज़िक्र में कई रिकॉर्ड ध्वस्त हो रहे थे। मेहमाननवाजी से खुश केकेके भी खुश हो लिए थे। बातों का दौर जारी था और केकेके अपने मूड में आ चुके थे।
"तुम लोग हस्तमैथुन करते हो क्या? " केकेके की तरफ से अचानक उछाले गए इस सवाल से तीनों हतप्रभ थे।
केकेके ने तीनों के चेहरों को पढ़ा और कहा-"अरे यार, तुम लोग इतना परेशान क्यों हो गए। अब करते हो तो बोलो नहीं तो छोड़ों। लेकिन मैं तो अभी भी हैंड प्रैक्टिस करता हूं। यार......औरत के साथ कितना भी बिस्तर गर्म कर लो... हैंड प्रैक्टिस का मज़ा कुछ और ही है। "
केकेके के सिर पर सुरूर हावी हो चुका था और वो सेक्स से जुड़े अपने तमाम अनुभवों को चटखारे लेकर बताने लगा। जितेन्द्र और उसके दोनों साथी भी अब इस बातचीत में शामिल हो चुके थे।
मयकशी के दौर के बीच इतनी रंगीन वार्ता में विघ्न पड़ा.....केकेके के मोबाइल के घंटी से। केकेके का नंबर को घूरा और काट दिया। लेकिन,दो पल बाद मोबाइल फिर घनघना उठा। इस बार, केकेके ने गुस्से भी फोन ऑन किया और कहा- कौन है?
लेकिन,दूसरी तरफ से आई आवाज़ ने केकेके के पैरों तले ज़मीन खिसका दी।
"मैं विशंभर नाथ बोल रहा हूं। कहां रहते हो तुम। कुछ पता भी रहता है तुम्हें। "हमारा हिन्दुस्तान" के पटना एडिशन के लिए संपादक के लिए अजय कुमार का नाम फाइनल हो गया है।"
विशंभर की इस सूचना के बाद केकेके का सुरुर लापता हो चुका था और बदन में अजीब सी फुर्ती आ गयी। वो उठ खड़ा हुआ और चीते की चाल से नीचे उतर लिया।....
सिर्फ इन्हीं शब्दों के साथ...."कल बात करता हूं तुम लोगों से"
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